बीता हुआ कल है एक ख्वाब सा,
क्यों है दिल मेरा कुछ बेताब सा
कल तक जो ख्वाबों के बाग थे ,
सुलझे हुये सारे हर जवाब थे ॥
यादों के रंगों में कहीं खो गए ,
जागी हूँ मैं पर क्यों ये सो गए ॥
क्या कहूँ क्यों ये दिल उदास है,
ना कोई दूर है न कोई पास है ॥
धुंधले से सारे सपने मेरे ,
लहरों में कहीं खो गए ......
क्यों है दिल मेरा कुछ बेताब सा
कल तक जो ख्वाबों के बाग थे ,
सुलझे हुये सारे हर जवाब थे ॥
यादों के रंगों में कहीं खो गए ,
जागी हूँ मैं पर क्यों ये सो गए ॥
क्या कहूँ क्यों ये दिल उदास है,
ना कोई दूर है न कोई पास है ॥
धुंधले से सारे सपने मेरे ,
लहरों में कहीं खो गए ......